आज वट सावित्री व्रत : ज्येष्ठ अमावस्या के दिन “वट सावित्र” एक अन्य महत्वपूर्ण दिवस भी आता है। वट सावित्री व्रत स्त्रीयों द्वारा अखंड सौभाग्य व पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन स्त्यवान और सावित्री की कथा सुनी जाती है और पीपल के वृक्ष का पूजन होता है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से भगवान की सदैव कृपा बनी रहती है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन पूजा करके मनचाहा वर पाती हैं और सुहागन महिलाओं को सुखी दांपत्य जीवन और अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पंडित इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है। इसी के साथ पीपल के वृक्ष का पूजन उस पर दीप जलाना ओर उसकी प्रदक्षिणा करना अत्यंत आवश्यक होता है और शुभ लाभ मिलता है। इस दिन प्रातः उठकर अपने इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन पीपल लगाने और पूजा का विधान बताया गया है।
जिसको संतान नहीं है, उसके लिए पीपल वृक्ष को लगाना और उसका पूजन करना अत्यंत चमत्कारिक होता है। पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव अर्थात त्रिदेवों का वास होता है। पुराणों में कहा गया है कि पीपल का वृक्ष लगाने से सैकड़ों यज्ञ करने के समान फल मिलता है और पुण्य कर्मों की वृद्धि होती है। पीपल के दर्शन से पापों का नाश, छूने से धन-धान्य की प्राप्ति व उसकी परिक्रमा करने से आयु में वृद्धि होती है।