Startups and Youth Thinking in India: स्टार्टअप्स और युवा सोच को चाहिए पारदर्शी नजरिये से आगे बढ़ने की राह, Koo app के को-फाउंडर बता रहे- कैसे चुनौतियों के पिलर से बनता है सफलता का ब्रिज

Startups and Youth Thinking in India: स्टार्टअप्स और युवा सोच को चाहिए पारदर्शी नजरिये से आगे बढ़ने की राह, Koo app के को-फाउंडर बता रहे- कैसे चुनौतियों के पिलर से बनता है सफलता का ब्रिज

Startups and Youth Thinking in India: देश में नए स्टार्टअप आइडियाज के बूम पकड़ने के साथ भारत सबसे अधिक यूनिकॉर्न के मामले में दुनिया का तीसरा मुल्क बन गया है।

देश की युवा सोच विदेशी दिग्गज कंपनियों को भी आगे रहकर चैलेन्ज कर रही हैं और प्रतिस्पर्धा के दौर में अपने हर कदम से दुनिया को अचंभित करने में जुटी हुई हैं। भारत का अपना स्वदेशी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफार्म कू, बेहद कम समय में 2 करोड़ से अधिक लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में सफल रहा है।

इस बहुभाषी प्लेटफार्म के जरिए क्षेत्रीय भाषा में लोगों को अपनी अभिव्यक्ति की आजादी मिली है। साथ ही कंपनी ने निवेशकों को आकर्षित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है, पिछले दिनों अपने चौथे दौर की बिडिंग पूरी करते हुए, कू ने 44 मिलियन डॉलर का निवेश एकत्र किया है, लेकिन दूसरी ओर सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 80 से 90 फीसदी स्टार्टअप 5 साल की अवधि पूरी करने से पहले ही असफल होकर बंद हो जाते हैं।

ऐसे में एकदम नई शुरुआत के साथ, एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में सक्सेसफुल लीडर बनने के लिए कू को-फाउंडर मयंक बिदावतका ने किन चुनौतियों का सामना किया और कैसे स्वदेशी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफार्म को चुनौतियों के पिलर को सफलता के ब्रिज में तब्दील कर के, सैकड़ों नौजवानों के लिए प्रेरणा का काम किया है।

हमसे हुई एक खास बातचीत में मयंक ने उन सभी प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है, जो प्रत्येक स्टार्टअप फाउंडर्स के साथ-साथ अपने आउट ऑफ़ बॉक्स आईडिया से दुनिया बदलने की सोच रखने वाले युवाओं की भविष्य नीति में कारगर सिद्ध हो सकते हैं। कू ऐप के सह-संस्थापक, मयंक बिदावतका से हुई ख़ास बातचीत के अंश

  • कहते हैं एंटरप्रेन्योर पैदा होते हैं बनाये नहीं जाते..इसे कितना सार्थक समझते हैं?
    मैं एक बिजनेस फैमिली से आता हूं। मैं अपने परिवार में नौकरी करने वाला पहला व्यक्ति था। वे हमेशा चाहते थे कि मैं पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ जाऊं लेकिन मैं इंटरनेट पर कुछ करना चाहता था। कुछ साल काम करने और फिर एमबीए करने के बाद मैं इंटरनेट से जुड़ा कोई बिजनेस करना चाहता था। मेरे एंटरप्रेन्योरशिप का सफर 2007 में शुरू हुआ और तब से मैं अपना खुद का उद्यम चला रहा हूं। मुझे इंटरनेट और इसके साथ आने वाली संभावनाएं बेहद पसंद हैं।

मेरा मानना ​​है कि कोई भी जिस चीज में व्यक्ति अपना दिमाग लगाता है उसमें कुछ भी कर सकता है। और यह मेरा संदेश हर उस व्यक्ति के लिए भी है जो अपना खुद का व्यवसाय करना चाहता है।

  • भारत में उद्यमिता विकास के लिए कौन से महत्वपूर्ण पहलु हैं? इसे कैसे प्रमोट किया जा रहा है?
    स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के अलावा भारत सरकार का कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट के लिए काफी कुछ करता है। सरकार एमएसएमई के लिए ब्याज अनुदान योजना, डेयरी उद्यमिता विकास योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, स्टैंड-अप इंडिया योजना, मेक इन इंडिया जैसी केंद्र सरकार की योजनाएं भी उद्यमियों के लिए वरदान साबित हुई हैं।

उद्यमिता विकास के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया का सरलीकरण, विकासशील औद्योगिक नीतियां, लचीली आर्थिक नीतियां, विकास संस्थानों की स्थापना, औद्योगिक क्षेत्रों का विकास, प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और विकास, तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा का विकास, साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना, सम्मेलनों-कार्यशालाओं का आयोजन, साहित्य का निर्माण, उत्पाद आधारित नीतियों की घोषणा, उद्यमिता सहायता इकाइयों की स्थापना, विशेष योजनाएं, महिला उद्यमियों का विकास, औद्योगिक नक्शे की तैयारी, वित्तीय संस्थानों की स्थापना, सब्सिडी की उपलब्धता, निर्यात संवर्धन कार्यक्रम, स्वरोजगार योजनाएं, छोटे उद्यमियों के लिए विशेष लोभ योजनाएं, शोध एवं विकास में खर्च की बढ़ोतरी, परियोजनाओं से जुड़ी रिपोर्ट की शीघ्र स्वीकृति समेत ऋण लेने में आसानी और आसान दस्तावेज प्रक्रिया इसके लिए जरूरी और महत्वपूर्ण पहलू है।

  • सरकारी तौर पर किस प्रकार के लाभ दिए जा रहे हैं? जो नए उद्यमियों के प्रोत्साहित कर रहे हैं?
    ऊपर बताई गई सरकारी योजनाओं के अलावा तमाम ऐसे महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिन पर सरकार ध्यान दे रही है। ये सभी उद्यमिता विकास के साथ ही नए उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
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