रायपुर। Social Welfare: बात त्रेतायुग की नही आज कलयुग की हो रही है। सोशल मीडिया में चरामेति का पोस्ट देखते ही ‘भोलेनाथ’ नाम के ही एक सज्जन ने शिल्पी मेडिकल स्टोर्स, दीपका में दवाइयों का ऑर्डर दे दिया और उसकी रकम भी उनके पास छोड़ गए और मुझे फोन करके सूचना दी उन्होंने अपना नाम कहीं भी बताने से मना कर दिया।
कुछ दवाइयों के लिए इंदौर से गोल्डी खनूजा, भिलाई से देवेन्द्र यादव (गुड्डू), प्रकाश इंडस्ट्री के इंजीनियर राकेश जायसवाल से सहयोग प्राप्त हुआ।

सावन के पहले दिन ही रामप्रसाद के लिए मिलीं 2 माह की दवाइयां
सारागांव निवासी रामप्रसाद जो गैंगरीन नामक खतरनाक बीमारी से ग्रसित है, कुछ दिन पहले उन्होंने हमारी संस्था से संपर्क किया एवं दवा के सहयोग हेतु मदद मांगी थी। रामप्रसाद जी एक समय में ड्राइवर हुआ करते थे और अपने व्यवसाय में लगे हुए थे आज से 11 साल पहले उनके हाथ से गैंग्रीन नामक बीमारी ने अपना शिकार बनाया शुरुआती समय में चांपा में हुए अपना इलाज करा रहे थे और ठीक थे, लेकिन किसी कारणवश वहां के अस्पताल में उनका इलाज बंद हुआ और बीमारी ने अपने चपेट में पूरी तरह से ले लिया और हाथों की तीन उंगलियां पूरी तरह से समाप्त कर दी।
दवाइयां चलती रही और करीब 3 साल बाद उनके पैर भी इस बीमारी की चपेट में आ गए और ओडिशा में एक कुष्ठ सेवा केंद्र में उनका एक पैर भी चला गया मजबूरन डॉक्टर को उनका पैर काटना पड़ा और नकली पैर लगाना पड़ा। दूसरे पैर के अंगूठे समय उंगलियां भी इस बीमारी की चपेट में खराब हो गए और एक दशक से भी ज्यादा समय इस बीमारी के इलाज में बीत गया, आज रायपुर में उनका ईलाज चल रहा है।
उनके घर में एक 14 साल की बिटिया है जो 7 वी कक्षा में पढ़ती है और उनकी पत्नी है। उनकी पत्नी रोजी मंजूरी कर घर का खर्च चलाती है उसमें भी आधे दिन काम न मिलने की वजह से वह काम की तलाश में यत्र तत्र भटकती रहती हैं।
दवाइयों के खर्च में ही उनकी हालत अस्थिर रहती है। कुछ समय तक चरामेति फाउंडेशन की सहयोगी संस्था सुमित फाउंडेशन ने उन्हें दवाइयों आदि की सहायता उपलब्ध करवाई। वह अति गंभीर बीमारियों के मरीज को अभी सहायता प्रदान कर रहे हैं।
हमने सोशल मीडिया में पोस्ट शेयर किया। इंदौर से गोल्डी खनूजा, भिलाई से देवेंद्र यादव, प्रकाश इंडस्ट्री में इंजीनियर राकेश जायसवाल ने अपने जन्मदिन पर उनके लिए सहयोग भेजा जिससे हमने उन्हें लगभग 7000 रुपए की दो माह की दवाइयां प्रदान की। जानकारी मिली कि उनका दिव्यांग प्रमाण पत्र बन चुका है, लेकिन कई बार चक्कर काटने के बाद भी दिव्यांग पेंशन की कार्यवाही विभागों एवं कागजों में दब गए हैं।
सोंठी से सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष जनपद पंचायत बम्हनीडीह बाबूलाल जायसवाल से चर्चा हुई तो उन्होंने सारागांव के सहयोगी नगर पंचायत उपाध्यक्ष दिलेश्वर राठौर की मदद से दिव्यांग पेंशन का कार्य कराने हेतु प्रयास करने की बात कही है।
जब वह इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहे थे इस दौरान उनकी बिटिया का 1 साल पढ़ाई गैप हो चुका है फिलहाल अभी उसे पास के ही स्कूल में दाखिला दिलाया गया है, और पढ़ाई के सभी सामग्री भी प्राप्त कर चुकी है।
रामप्रसाद की इच्छा है के वे भी कुछ काम करते जिससे कि घर और दवा के खर्च वो स्वयं वहन कर सकें।
रामप्रसाद जी कि जुबानी सुनिए उनकी कहानी-
जनसहयोग से इसी तरह छत्तीसगढ़ की चरामेति संस्था प्रतिमाह ऐसे कई मरीजों को दवाइयां उपलब्ध करा रही हैं। हम सिर्फ एक माध्यम हैं करने वाले कर्ता तो आप सब ही है। यदि आप भी प्रतिमाह एक छोटी सी राशि उन मरीजों के लिए देना चाहते हैं तो संस्था के सोशल मीडिया ग्रुप से जुड़ कर सहयोग कर सकते हैं। नीचे दिए गए लिंक को फॉलो करें- https://chat.whatsapp.com/LN1aUSmBPHI9O6oD7KMYME