मास्को। Russia Ukraine war: दुनिया के नक्शे पर लुहान्स्क और दोनेत्स्क नाम के 2 नए देशों का उदय होने जा रहा है। रूसी सेना के संरक्षण में यूक्रेन के सरहदी इलाके के इन दो प्रांतों ने स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में अपने अस्तित्व की घोषणा कर दी है।
यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की कवायत के साथ शुरू हुए युद्ध की आशंका के बीच राष्ट्रपति पुतिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले की घोषणा कर दी और इसी के साथ। कुछ ही घंटों के भीतर यूक्रेन के सीमावर्ती दो प्रांतों लुहान्स्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करते हुए वहां सुरक्षा के लिहाज से अपनी सेना तैनात कर दी। रूस के इस हमले के बाद अब यूक्रेन तीन भागों में बंट चुका है। जिन क्षेत्रों को रूसी सेना ने यूक्रेन से मुक्ति दिलाई है वहां के लोग आजादी का जश्न मना रहे हैं।

लुहान्स्क ओब्लास्ट यूक्रेन का सबसे पूर्वी क्षेत्र है। इसका प्रशासनिक केंद्र लुहान्स्क है। ओब्लास्ट 1938 में स्थापित किया गया था और क्लिमेंट वोरोशिलोव के सम्मान में वोरोशिलोवग्राद ओब्लास्ट नाम दिया गया था। इसका क्षेत्रफल 26,683 वर्ग किलोमीटर है।
वहीं दूसरा डोनेट्स्क, जिसे पहले अलेक्जेंड्रोवका, युज़िवका, स्टालिन और स्टालिनो के नाम से जाना जाता था, पूर्वी यूक्रेन में एक औद्योगिक शहर है जो डोनेट्स्क ओब्लास्ट के विवादित क्षेत्र में कलमियस नदी पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल 358 वर्ग किलोमीटर है।
कितनी गहरी हैं रूस और यूक्रेन विवाद की जड़ें
साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले तक यूक्रेन सोवियत रूस का हिस्सा हुआ करता था। 31 साल पहले जब सोवियत संघ के टुकड़े हुए तो यूक्रेन एक आजाद देश बना। हल्की आजाद देश होने के बावजूद भी यूक्रेन जुलूस का अच्छा मित्र और सहयोगी राष्ट्र था। यूक्रेन में ज्यादातर राष्ट्रपति वही बने जो रूस के दोस्त थे। यह सिलसिला साल 2013 तक ऐसे ही चलता रहा।
साल 2013 में विक्टर यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। यूक्रेन में उनके खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया, लेकिन उन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था। यहीं से रूस और यूक्रेन के रिश्तो में दरार आना शुरू हुई। साल 2014 में विक्टर को देश छोड़कर भागना पड़ा और इसके बाद यूक्रेन में रूस विरोधी सरकार आ गई। इसी बीच यूक्रेन के प्रीमियर में आंतरिक विद्रोह शुरू हुआ। रूस ने इसका समर्थन किया और क्रीमिया पर हमला करते हुए उसे अपने कब्जे में ले लिया। तब से अब तक यूक्रेन और रूस के रिश्ते बिगड़े हुए हैं।
इसी बीच यूक्रेन ने यूरोपियन यूनियन की सदस्यता लेने और नाटो देशों का सदस्य बनने की ओर कदम उठाना शुरू किया जो बात रूस को नागवार गुजरी। अगर यूक्रेन यूरोपियन यूनियन का सदस्य बनता है तो इससे रूस पर सीधा खतरा मंडराने लगेगा और इस क्षेत्र में अमेरिकी वर्चस्व बढ़ जाएगा। रूस यह कतई नहीं चाहता, इसके साथ ही व्लादीमीर पुतिन एक बार फिर सोवियत रूस की स्थापना का मकसद लेकर चल रहे हैं और इस दिशा में यह उनका बड़ा कदम है।