Raipur: ब्रह्मांड में राम के नाम से बढ़कर कोई धन नहीं : मधुसूदनाचार्य जी महाराज

Raipur: ब्रह्मांड में राम के नाम से बढ़कर कोई धन नहीं : मधुसूदनाचार्य जी महाराज

रायपुर। Raipur: भगवान भोलेनाथ भी रघुनाथ जी के बाल स्वरूप का ध्यान करते हैं। किसी भी तीर्थ में स्नान करने के पहले उनकों प्रणाम अवश्य करनी चाहिए। विद्या दो प्रकार से प्राप्त होती है या तो गुरु की सेवा से या पूर्व जन्म के संस्कार से, जिस वृक्ष में फल लगा होता है वह स्वयं ही झुक जाता है इसी तरह जिस व्यक्ति के अंदर विद्या आ जाती है वह विनम्र हो जाता है।

यह बातें श्री दूधाधारी मठ महोत्सव में श्रोताओं को श्री राम कथा का रसपान कराते हुए श्री अयोध्या धाम उत्तर प्रदेश से पधारे हुए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी मधुसूदनाचार्य जी महाराज ने अभिव्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को हम प्रणाम करते हैं उसे कुछ भी नहीं मिलता वह आशीर्वाद देता है किंतु जो प्रणाम करते हैं उन्हें आशीर्वाद और पुण्य दोनों की प्राप्ति होती है, प्रणाम हमेशा दोनों हाथों से करना चाहिए एक हाथ से प्रणाम करने वाला व्यक्ति नरकगामी होता है।

सन्तों को कभी भी अपने लिए किसी तरह की कोई चिंता नहीं होती वे राष्ट्र के लिए चिंतित होते हैं श्री रामचरितमानस में लिखा है -गाधी तनय मन चिंता व्यापी! राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर विश्वामित्र जी चिंतित हो गए उन्होंने सोचा कि यदि राक्षसों का विनाश नहीं हुआ तो धरती रसातल में चली जाएगी इसलिए उन्होंने राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांगा! राजा दशरथ ने कहा कि -आप मेरा सब कुछ ले लीजिए यहां तक कि यदि चाहें तो मेरा प्राण भी ले लीजिए लेकिन- रामदेत नहि बनहिं गोसाई। राम शब्द की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जो सभी के हृदय में रमण करने वाला है, जो अंतःकरण में निवास करता है वही राम है! जो राम में रम गया उसे ही पता है कि इसमें कितना सुख है। दुनिया का सबसे बड़ा धन राम नाम रूपी धन ही है, पूरे अखिल ब्रह्मांड में इससे बढ़कर कोई धन नहीं है। मीरा ने तभी कहा था- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो! जिसके अंदर भगवान की भक्ति है जिसके हृदय में राम विराजित हैं वही संसार का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति हैं। इस संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं सभी ने भगवान रघुनाथ जी के बाल रूप को ही अपना आराध्य माना है। यहां तक कि पूरे जगत के मालिक भगवान भोलेनाथ ने भी यही कहा- बंदउ बालरूप सोई रामू , सब सिध सुफल जपत जिन नामू। भगवान को चाह कर भी कोई पकड़ नहीं पाता है, जिसके पकड़ में भगवान स्वयं आ जाते हैं वही उनका सानिध्य प्राप्त करता है! आचार्य श्री ने कहा कि किसी तीर्थ में स्नान करने से पूर्व उसे प्रणाम अवश्य करनी चाहिए उसके पश्चात किसी संत से उनकी महिमा सुनकर हो सके तो दान पुण्य विधिवत करनी चाहिए। तीर्थ क्षेत्र में किया गया पुण्य भी बढ़ता है और पाप भी, इसलिए सोच समझकर पुण्य का कार्य ही करें अन्यथा पाप भी द्रुतगति से बढ़ता है। यदि आपके पास कुछ भी न हो तो तीर्थ स्थान में सेवा ही कर लीजिए इससे आपको पुण्य की प्राप्ति हो जाएगी। रायपुर नगर की अयोध्या से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या यदि बड़ी अयोध्या है तो रायपुर छोटी अयोध्या! अयोध्या कौशल प्रांत में स्थित है और रायपुर दक्षिण कौशल में, हमारा अपना मानना है अयोध्या तो अयोध्या है इसमें छोटा और बड़ा का प्रश्न ही नहीं उठता! यहां श्री दूधाधारी मठ में हमारे रघुनाथ जी की सेवा होती हैं जहां राम है वही अयोध्या है! गोस्वामी जी ने भी लिखा है -जहां राम तहं अवध निवासु। मंच पर श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज प्रत्येक दिनों की तरह मुख्य यजमान के रूप में विराजित थे कथा श्रवण के लिए श्री स्वामी ब्रह्म विद्यानंद सरस्वती जी महाराज भी मंचासीन थे, कथा श्रवण करने के लिए पूर्व मंत्री एवं वर्तमान वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ मत्स्य बोर्ड के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त एमआर निषाद, पूर्व महापौर प्रमोद शर्मा, जिला कांग्रेस कमेटी रायपुर के अध्यक्ष गिरीश दुबे, प्रयाग राज से संत श्री रामशिरोमणि दास जी महाराज, सच्चिदानंद उपासने, अजय तिवारी, अनिल तिवारी, विजय पाली, पार्थसारथी राव, तोयनिधि वैष्णव, रमेश यादु, चंद्रकांत यदु, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।

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