Raipur: भगवान को जानना ही भगवत प्राप्ति का एकमात्र साधन है: मधुसूदनाचार्य जी

Raipur: भगवान को जानना ही भगवत प्राप्ति का एकमात्र साधन है: मधुसूदनाचार्य जी

रायपुर। Raipur: छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर स्थित श्री दूधाधारी मठ के सत्संग भवन में संगीतमय श्री राम कथा एवं भव्य सन्त सम्मेलन का शुभारंभ 6 नवंबर को हुआ, आचार्य मधुसूदनाचार्य जी महाराज ने कथा स्थल पर पहुंचकर राघवेंद्र सरकार एवं श्री स्वामी बालाजी भगवान की पूजा अर्चना की, श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने अपने सहयोगियों के साथ उन्हें आदर पूर्वक व्यास पीठ पर विराजित किया।

पूजार्चना एवं स्वागत संपन्न होने के पश्चात हरिनाम संकीर्तन से आचार्य जी ने श्री राम कथा का शुभारंभ किया और श्रोताओं से कहा कि यह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि ऐसे पवित्र तपस्थली में मुझे राम कथा सुनाने का सौभाग्य अखिल ब्रह्मांड नायक भगवान श्री रामचंद्र जी ने प्रदान किया है। श्री दूधाधारी मठ में बड़े-बड़े प्रतापी, तपस्वी हुए हैं जो यहां के कण-कण में विराजित हैं, उनकी ही अनुकंपा से पूज्य महाराज श्री इस स्थान की सेवा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जिन भक्तों पर भगवान की कृपा हो जाती है या जिसे भगवान अपना लेते हैं उसका सब कुछ छीन लेते हैं, विपरीत परिस्थितियों में भी जो भगवान को नहीं भूलता भगवान उसे ही अपना मानते हैं। श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज को बाल्यावस्था में जो दुख भोगना पड़ा उससे वे विचलित नहीं हुए अंततः संपूर्ण संसार तुलसीदास का हो गया। भगवत भक्ति प्राप्त करने का मार्ग क्या है? इस पर वेदों ने कहा है -त्वमेव विदित्वा! अर्थात भगवान को जानना ही भगवत प्राप्ति का एकमात्र साधन है! हमें अपने जीवन में युगल उपासना करनी चाहिए, माता हमेशा भगवान के वाम अंग में विराजित होती हैं इसलिए हमारे सनातन धर्म में राधा-कृष्ण, सीताराम, गौरी शंकर की युगल उपासना की जाती है।

भगवान तक पहुंचने के लिए तुलसीदास जी महाराज ने पीपीलिका मार्ग का अनुसरण किया है अर्थात हमें चीटियों की तरह धीरे-धीरे ईश्वर की ओर प्रयाण करते ही रहना चाहिए एक ना एक दिन हम अपने मंजिल तक जरूर पहुंच जाएंगे। प्रथम सत्र की कथा की समाप्ति के पूर्व राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि आचार्य जी ने मंच से श्री दूधाधारी मठ के संस्थापक आचार्य श्री स्वामी बलभद्र दास जी महाराज की प्रशंसा की है, यहां किवदंती है कि श्री दूधाधारी जी महाराज के आश्रम में एक शेर और एक शेरनी ने शिष्यत्व धारण किया ,श्री स्वामी जी ने शेर का नाम मंगलदास और शेरनी का नाम लक्ष्मी रखा।

यहां रहने वाले प्रत्येक जीव वैरभाव को भूलकर जीवन का निर्वाह करते थे। प्रथम दिवस राम कथा का रसपान करने के लिए मठ के ट्रस्टी श्री विजय पाली, श्री पार्थसारथी राव, राज्य संस्कृत बोर्ड के सदस्य तोएनिधि वैष्णव, बिलासपुर से रिकेद्र तिवारी, पलारी से रज्जाक खान, श्यामू यादव मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य श्रोता गण उपस्थित थे। कार्यक्रम में देखरेख एवं व्यवस्था में मुख्तियार राम छवि दास जी, रामेश्वर मिश्रा, राम मोहन, उमेश पुरी गोस्वामी, हर्ष दुबे, सभी पुजारी एवं कर्मचारी तथा विद्यार्थी गण लगे हुए थे।

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