Raipur: माताओं ने अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा हलषष्ठी व्रत, श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन में पूजा- अर्चना

Raipur: माताओं ने अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए रखा हलषष्ठी व्रत, श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन में पूजा- अर्चना

रायपुर। Raipur: छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांवों एवं नगरों में माताओं ने अपने संतानों को दीर्घायु प्रदान करने की कामना को लेकर हल षष्टि व्रत रखा इसी सिलसिले में श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन में भी माताओं ने हलषष्ठी व्रत रख कर पूजा अर्चना संपन्न किया। यहां प्रतीकात्मक तालाब बनाए गए इसे हरे-भरे पौधों से सजाया गया, जल भरकर पूजा अर्चना की गई एवं हलषष्ठी व्रत कथा का श्रवण किया गया। उल्लेखनीय है कि माताएं अपनी संतान के दीर्घायु एवं स्वस्थ, मंगलमय जीवन के लिए भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को हलषष्ठी व्रत धारण करती हैं।

पूरे दिन उपवास रखती है तथा इस दिन वे हल चले हुए जमीन पर नहीं चलती साथ ही हल से उत्पन्न हुए किसी भी तरह के अनाज का उपयोग इस व्रत में नहीं किया जाता। भैंस की दूध, दही, घी का प्रयोग करती हैं पषहर चांवल का इसमें विशेष महत्व होता है। व्रत पूरा होने के पश्चात माताएं अपने संतानों के पीठ पर पोतिया लगाकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं। यह छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार है जो प्रत्येक गांवों एवं नगरों के प्रायः सभी मोहल्लों में तथा मंदिर आदि पूजा स्थलों में विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।

माताएं समूह में इकट्ठा होकर सामूहिक पूजा अर्चना किया करती हैं। पूजा अर्चना संपन्न कराने वाले पुरोहितों को दक्षिणा देकर पुण्य लाभ अर्जित करती हैं। श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन में हलषष्ठी पूजन के समय विशेष रूप से महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग, पंडित माधव प्रसाद त्रिवेदी, मुख्तियार राम छवि दास जी, पुरोहित प्रवेश शुक्ला, रामप्रिय दास जी, उमेश पुरी गोस्वामी, हर्ष दुबे, कृष्णा चंद्रा, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।

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