Raipur: 0.4 प्रतिशत कि दर के साथ देश में न्यूनतम बेरोजगारी वाला राज्य बना छत्तीसगढ़

Raipur: 0.4 प्रतिशत कि दर के साथ देश में न्यूनतम बेरोजगारी वाला राज्य बना छत्तीसगढ़

रायपुर। Chhattisgarh: देश की अर्थव्यवस्था की सेहत को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाती है, क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने लोग रोजगार के साथ आत्मनिर्भरता की जिंदगी जी रहे हैं, यह तथ्य बताती है। छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद कई चुनौतियां आईं, जिनमें कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन की स्थिति भी थी। देश- दुनिया में अर्थव्यवस्था पर इसका बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था और बेरोजगारों की संख्या तेजी के साथ बढ़ रही थी, लेकिन उसी दौर में सरकार ने कुछ बड़े नीतिगत फैसले लिए और मनरेगा जैसे ग्रामीण रोजगार मूलक कार्यों को जारी रखा।

लघु वनोपजों का संग्रह भी इस दौरान जारी रहा। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद सरकार ने बेरोजगारी उन्मूलन के तेज प्रयास शुरू किए। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ 0.4 प्रतिशत की दर के साथ देश का न्यूनतम बेरोजगारी वाला राज्य बन गया है।सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मासिक आंकड़ों के मुताबिक अगस्त माह में देश के राज्यों में छत्तीसगढ़ रोजगार के मामले में सबसे आगे रहा। यहां बेरोजगारी दर सबसे कम 0.4 प्रतिशत रही। इस साल मार्च माह से भारत की बेरोजगारी दर में गिरावट देखने को मिली है। देश में बेरोजगारी की दर फरवरी में 8.10% थी, जो मार्च में घटकर 7.60% रह गई। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2022 में देश की कुल बेरोजगारी दर 7.1%, शहरी बेरोजगारी की दर 8.1% और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 6.6% रही है।

योजनाओं का लाभ लेकर संवार रहे जिंदगी

छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं ने राज्य के हर वर्ग को सीधा रोजगार से जोड़ा है। योजनाओं का लाभ लेकर आज युवा, महिलाएं, किसान, आदिवासी समुदाय के लोग अच्छी खासी आय हासिल कर रहे हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से खेती- किसानी का काम अब बड़े फायदे का काम बन गया है। सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि खेती किसानी को रोजगार के रूप में वापस किसानों ने अपनाया है और अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली ला रहे हैं। ग्रामीणों पशुपालकों के लिए गोधन न्याय योजना जैसी योजना लाकर सरकार ने उन्हें भी आर्थिक आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया है।

विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में एक बार फिर विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल ने पूरे देश में अपनी सफलता का परचम बुलंद कर दिया है। राज्य सरकार के नीतिगत फैसले और बेहतर कार्यप्रबंधन से लगातार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। जिससे राज्य की बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है। अगस्त 2022 की स्थिति में सीएमआईई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सर्वाधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में 37.3%, जम्मू-कश्मीर में 32.8%, राजस्थान में 31.4%, झारखंड में 17.3 प्रतिशत, त्रिपुरा में 16.3%, गोवा में 13.7% और बिहार में 12.8 प्रतिशत रही।

समावेशी विकास का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ ने समावेशी विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए तीन साल पहले महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरूप नया मॉडल अपनाया था, जिसके तहत गांवों और शहरों के बीच आर्थिक परस्परता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इसी मॉडल के अंतर्गत गांवों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सुराजी गांव योजना, नरवा गरवा घुरवा-बारी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, रूरल इंडस्ट्रीयल पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण एवं वैल्यू एडीशन, उद्यमिता विकास जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये- नये अवसर सृजित हो रहे हैं। इन योजनाओं से राज्य के विकास को गति मिल रही है, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है।

लाखों लोगों को मिला रोजगार

छत्तीसगढ़ देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां बेरोजगारी दर 0.6 प्रतिशत पहुंच गई है। सरकार हर क्षेत्र में युवाओं को महिलाओं को रोजगार दे रही है। सरकारी नौकरियों में भर्तियों के साथ स्वावलंबन तथा आत्मनिर्भरता की ओर सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाया है। जिससे समाज के हर वर्ग को आज सरलता से रोजगार मिल पा रहा है। विभिन्न माध्यमों से रोजगार का सृजन कर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण आर्थिक रूप से मजबूती की ओर निरंतर बढ़ रहे हैं।

51 हजार से अधिक बुनकरों को मिला रोजगार

सरकारी उपयोग में लाए जाने वाले कपड़ों की खरीदी प्रदेश के राज्य बुनकर सहकारी संघ के माध्यम से की जा रही हैं। इससे 51 हजार से अधिक बुनकरों को रोजगार मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी समुदाय के लोगों की है। आदिवासियों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से लघु वनोपजों की खरीदी 3500 महिला समूहों के माध्यम से 821 हाट बाजारों में की जा रही है। इसके माध्यम से लगभग 42 हजार आदिवासी महिलाओं को रोजगार मिला है। यूनिफॉर्म तैयार करने के काम में प्रदेश के लगभग 900 महिला समूह काम कर रहे हैं। इस तरह 35 हजार वनवासियों को गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने, पांच हजार ग्रामीणों को, माहुल पत्ता, कपड़े और जूट से पत्तल और प्लेट तैयार करने, पांच हजार को बांस से ट्री-गार्ड और टोकरी तैयार करने, आर्गेनिक औषधियां बनाने के क्षेत्र में लगभग 61 हजार 991 लोगों को रोजगार मिला है।

महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर, प्रतिमाह 12 से 15 हजार तक की आमदनी

छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं के माध्यम से आज महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्हें भी रोजगार मिल रहा है। दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के माध्यम से गठित सृष्टि एवं मां परमेश्वरी महिला स्व सहायता समूह ने आत्म निर्भर बनने की दिशा में बेहतरीन कार्य किया है। इस बात का अनुमान इनके प्रति माह के आय से लगाया जा सकता है। सृष्टि स्व सहायता महिला समूह ने सेक्टर-7 वार्ड 66 में 13 सदस्यों को मिलाकर समूह का गठन किया है। समूह के सदस्यों ने आत्मनिर्भर बनने के लिए और आर्थिक रूप से सशक्त होने के लिए प्रारंभिक तौर पर ही लक्ष्य लेकर कार्य करना प्रारंभ किया था।

उन्होंने बैंकिंग व्यवहार को प्राथमिकता से अपनाया प्रतिमाह समूह के सदस्यों ने 100 रुपए प्रति सदस्य जमा करना प्रारंभ किया। समूह की बैठक लेकर बैंकिंग लेनदेन को बढ़ावा देने और आपसी समन्वय से समूह की सहभागिता सुनिश्चित करने का निरंतर प्रयास इन्होंने किया है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में तथा स्वावलंबी बनने के लिए समूह द्वारा स्वयं का रोजगार प्रारंभ किया गया। समूह को निगम ने सहयोग करते हुए केंद्र शासन की योजना अनुसार 10 हजार रुपए आवर्ती निधि उपलब्ध कराई। महिलाओं द्वारा संकलित जमा राशि से छत्तीसगढ़ी व्यंजन अनरसा बना कर घर-घर बेचने का कार्य प्रारंभ किया गया। धीरे-धीरे इस व्यंजन की इतनी प्रसिद्धि मिली कि सेक्टर-06 भिलाई स्थित आंध्रा बेकरी में उन्हें अपने उत्पाद बेचने की सहमति मिल गई और प्रतिमाह 12 से 15 हजार तक आय उन्हें प्राप्त हो रही है।

छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के विविधिकरण और इसे विकसित राज्यों के स्तर तक लाने के लिए नए नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत यहां सुराजी गांव और गोधन न्याय योजना, इथेनाल प्लांट की स्थापना, मिलेट मिशन, वनोपज एवं वनोत्पाद के वेल्यूएडिशन सहित कई क्षेत्रों में काम हो रहा है। लाख और मत्स्य उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया गया है। राज्य के विभिन्न उत्पादों की बिक्री के लिए सी-मार्ट प्रारंभ करने की योजना बनाई गई है। पर्यटन संभावनाओं के दोहन के लिए पर्यटन क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है। इन्हीं सब प्रयासों को एकीकृत करने और रोजगार की नई संभावानाओं के सृजन के लिए छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन की शुरूआत की गई है।

15 लाख नए रोजगार अवसर सृजन का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ में आने वाले 5 वर्षों में 12 से 15 लाख रोजगार के नए अवसरों का निर्माण करने के लिए रोजगार मिशन का संचालन किया जा रहा है। कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए राज्य में कई कदम उठाए गए हैं। यहां धान और वनोत्पाद के विपुल उत्पादन के साथ साथ पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए कई पहल की गई है। भविष्य में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के लिए कई योजनाओं पर राज्य सरकार कार्य कर रही है। मनरेगा में 26 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार देकर छत्तीसगढ़ ने कीर्तिमान रचा था। निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण ने स्वयं के व्यवसाय का युवाओं को दिलाया है। ई- श्रेणी पंजीयन ने युवा इंजीनियरों को रोजगार दिया।*गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की आय का सबसे सरल माध्यम बना*राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की आय का सबसे सरल माध्यम बन गई है। सरकार की इस योजना से गांव-गांव में लोगों की अच्छी खासी आमदनी हो रही है। ग्रामीण राजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि शासन की महत्तवाकांक्षी गोधन न्याय योजना से आज वे आर्थिक रूप से सशक्त हो पाए हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास 51 गौवंशीय पशु हैं, जिनसे प्रतिदिन वे लगभग 2 क्विंटल गोबर गौठान में बेचते हैं और प्रत्येक 15 दिन उन्हें इसकी राशि मिल जाती है। उन्हें पिछले दो वर्षों में गोबर बेचकर लगभग 85 हजार रुपए की आमदनी हुई जिससे उन्हें अपनी बेटी के ब्याह में सहायता मिली और उन्हें किसी से कर्ज लेने की भी आवश्यकता नहीं पड़ी। श्री गुप्ता ने बताया कि शासन की ऋण माफी की योजना के तहत लगभग 53 हजार की ऋण माफी का लाभ हुआ।

गोबर बेचकर कमाए 73 हजार रुपए, खोली फल की दुकान

किरोड़ीमल नगर पंचायत की चिंता देवी गिरी के जीवन में, जिन्होंने छत्तीसगढ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का लाभ लेकर खुद का फल व्यवसाय प्रारंभ किया। इसके साथ ही एक अन्य व्यवसाय को विस्तार दे रही है। जिन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ लेकर अतिरिक्त आय का जरिया निर्मित कर परिवार की जिम्मेदारियों में सहयोग प्रदान कर रही है। गिरी ने बताया कि पूर्व में लोग गाय के गोबर को बाहर फेंक दिया जाता था। जिसकी कोई कीमत नहीं होती थी। आज उस गाय के गोबर को गोधन के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गोधन न्याय योजना के तहत उस गोबर को बेच कर लगभग 73 हजार 400 रुपए की कमाई की जो कि उनके लिए यह एक बहुत बड़ी धन राशि थी। वर्तमान में आज उस धन राशि का उपयोग कर वह अपने द्वारा निजी व्यवसाय प्रारंभ किया है। वह आज किरोड़ीमल नगर में फल की दुकान खोलकर स्वयं का व्यवसाय कर रही है। जिनसे उनका लगभग प्रतिमाह 10 से 15 हजार रुपए अतिरिक्त आय प्राप्त होता है।

सरकारी नौकरियों में भी मिल रहे अवसर

अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ सरकार ने अलग-अलग विभागों में भी रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चलाई, इससे बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरियों के अवसर मिले हैं। बस्तर बटालियन का गठन कर वहां के स्थानीय युवाओं को नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए गए। पुलिस विभाग में ही विभिन्न पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में 12 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती का फैसला लिया गया है। बस्तर और सरगुजा संभाग के लिए 12489 शिक्षकों के पदों पर होगी भर्ती, इसमें 6285 सहायक शिक्षक, 5772 शिक्षक और 432 पद व्याख्याता के हैं।

सब्जियां बेचकर लखपति बना समूह

शासन की नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना से ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करने वालों को अच्छा लाभ हो रहा है। योजनांतर्गत बाडी विकास कार्यक्रम ने कोरिया जिले के किसानों सहित स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर करने में महती भूमिका निभायी है। विकासखण्ड भरतपुर के कासीटोला गौठान की लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं बाड़ी विकास कार्यक्रम से जुड़कर सप्ताह में 5 से 6 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी कमा रहीं हैं, जिससे अब तक उन्हें कुल 1 लाख रुपए तक की आय हुई है। मिर्च के उत्पादन से कमाए 1 लाख 80 हजार रुपए।

राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरुवा, गरूवा, घुरुवा एवं बाड़ी योजनांतर्गत बाड़ी विकास से बलरामपुर जिले की स्वसहायता समूह की महिलाएं गौठान में सामुदायिक रूप से मिर्च की खेती कर रहे है। समूह ने अभी तक पौने दो लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमा लिया है। जिले के टिकनी गौठान की निराला एवं गुलाब महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गौठान के लगभग 1.50 एकड़ भूमि में मिर्च की खेती की जा रही है। खेती प्रारंभ करने के पूर्व उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा अच्छी पैदावार हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान की गई।

लोकेश को हुई 2 लाख रुपए की शुद्ध आय

स्वादिष्ट भोजन, आदि में टमाटर का विषेश महत्व है। इसे सब्जी बनाने से लेकर, सलाद में सूप के तौर पर, चटनी के रूप में और यहां तक कि ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए किसान श्री लोकेश टण्डन ने ग्राफ्टेड टमाटर की खेती कर शुद्ध 2 लाख से ज्यादा की कमाई की थी। पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम सपोस के कृषक श्री लोकेश टण्डन ने पिछले वर्ष राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत् ग्राफ्टेड टमाटर की पैदावार की थी। उद्यानिकी विभाग द्वारा ग्राफ्टेड टमाटर के पौधें इन्हें उपलब्ध कराकर उन्हें तकनीकी विधि भी बताई थी।

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