रायपुर। Parsa East and Kete Coal Block Chhattisgarh: परसा ईस्ट और केते बसन कोल् ब्लॉक में खनन रुकवाने के लिए दायर की गई एक अंतरिम याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा है की सरकार द्वारा ब्लॉक के आवंटन के दौरान सारे कानूनों का पालन किया गया था। मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय की बेंच जिसमे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत तथा जस्टिस पी एस नरसिम्हा शामिल थे, ने की थी।
अंतरिम याचिका दायर करने वाले पक्ष की तरफ से प्रशांत भूषण ने दलील पेश करते हुए कहा की PEKB में कोयला खनन करने के लिए, RRVUNL पांच लाख पेड़ काटने की तैयारी में है।

छत्तीसगढ़ स्तिथ परसा ईस्ट और केते बसन कोल् ब्लॉक का आवंटन केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान राज्य विधुत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) को किया गया था और इसका पक्ष रखते हुए एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया की निगम ने सारी कानूनी प्रक्रियांओं को पहले ही पूरा कर लिया है। रोहतगी ने ये भी बताया की परसा ईस्ट केंते बासन ने निकलने वाला सारा कोयला RRVUNL ने पावर प्लांट्स को लिए निर्धारित है जिससे की राजस्थान की 40 प्रतिशत ऊर्जा की जरुरत पूरी होती है।
केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया की हसदेव क्षेत्र में कुल मिला कर 23 कोल् ब्लॉक हैं, लेकिन पर्यावरण के संतुलन को ध्यान में रख कर सिर्फ 4 ब्लॉक्स में खनन की अनुमति दी गई है, इसलिए यहाँ खनन रुकवाने की बात करना अनुचित है।
भूषण द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए डॉ अभिषेक मनु सिंघवी – जो की परसा केन्ते कोलिआरिएस लिमिटेड (PKCL) का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं – ने कोर्ट को बताया की पर्यावरण के बचाव के लिए RRVUNL पहले ही इस इलाके में आठ लाख पेड़ लगा चुका है और पर्यावरण विभाग द्वारा 60 लाख वृक्षों को भी रोपा गया है।
उल्लेखनीय है की छत्तीसगढ़ देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक राज्यों में से एक है और यहाँ से निकले कोयले की बदौलत राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र इत्यादि कई प्रदेश अपनी ऊर्जा की जरूरत को पूरा करते हैं। राजस्थान अभी हाल ही में बिजली संकट के दौर से गुजर चुका है और गर्मी के मौसम में बिजली की बढ़ी हुई मांग को मद्देनज़र रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने मार्च महीने में छत्तीसगढ़ का दौरा भी किया था| दौरे के दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बाघेल से ख़ास तौर से विनती की थी की, RRVUNL को आवंटित कोयला खदानों को शीघ्र चालु कराया जाए नहीं तो राजस्थान में घोर बिजली संकट हो सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था की RRVUNL पहले से ही सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर चुका है और अब बस खनन कार्य शुरू होने का इंतज़ार कर रहा है।