नई दिल्ली। Man ki Baat: प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण भी एक तरह से देश की सेवा ही है। उन्होंने विशेष रूप से उत्तराखण्ड में पौड़ी गढ़वाल के सच्चिदानंद भारती का जिक्र किया। भारती शिक्षक हैं और उन्होंने अपने कार्यों से भी लोगों को बहुत अच्छी शिक्षा दी है। उनकी मेहनत से ही आज पौड़ी गढ़वाल के उफरैंखाल क्षेत्र में पानी का संकट समाप्त हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जल संरक्षण की पारम्परिक विधि चालखाल का भी उल्लेख किया। भारती ने इस परम्परा में कुछ नये तरीके जोड़े और नियमित रूप से छोटे-छोटे तालाब बनवाये। इस कारण न सिर्फ उफरैंखाल की पहाड़ी हरी भरी हुई बल्कि लोगों की पेयजल की समस्या भी दूर हो गई। भारती ने 30 हजार से अधिक जल तलैया बनाई हैं। उनका यह भागीरथ कार्य आज भी जारी है और वे अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अंधाव गांव के लोगों के अनूठे प्रयास का भी उल्लेख किया। इन लोगों ने अपने अभियान का बड़ा दिलचस्प नाम दिया है-खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में। इस अभियान के तहत कई सौ बीघे खेतों में ऊंची ऊंची मेड बनाई गई है। इससे बारिश का पानी खेतों में इकट्ठा होने लगा और जमीन में जाने लगा। अब ये लोग खेतों की मेड पर पौधे लगाने की भी योजना बना रहे हैं। इसका मतलब है कि किसानों को अब पानी और पेड़ के साथ पैसा भी मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इन सभी प्रयासों से प्रेरणा लेनी चाहिए और हर संभव तरीके से पानी का संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मॉनसून का महत्वपूर्ण समय गंवाना नहीं चाहिए।
प्रधानमंत्री ने शास्त्रों की उक्ति नास्ति मूलम् अनौषधम् का उल्लेख किया। इसका अर्थ है धरती पर ऐसी कोई वनस्पति नहीं है जिसमें कोई औषधीय गुण न हो। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे बहुत से पेड़ पौधे हैं जिनमें अद्भुत गुण होते हैं लेकिन लोगों को इनके बारे में पता नहीं होता। प्रधानमंत्री मोदी ने नैनीताल के पारितोष का उल्लेख किया। जिन्होंने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि उन्हें गिलोय और कई अन्य वनस्पतियों के चमत्कारी मेडिकल गुणों के बारे में कोरोना आने के बाद ही पता चला।
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में सतना के रामलोटन कुशवाहा से बात की जिन्होंने अपने खेत में देशी म्यूजियम बनाया है। इस म्यूजियम में रामलोटन ने दूर दूर से लाकर सैंकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है।