Love Story : Chhattisgarh : Lorik- Chanda : लैला-मंजनू हीर रांझा, सोहिनी महिवाल, रोमियो जुलियट, आदि की प्रणय गाथाओं के साथ ही लोरिक चंदा अमर प्रेेम कथा छत्तीसगढ ही नही देश के 08 राज्यों में गाई जाती है। अमर नायक लोरिक का संबंध रायपुर जिले के रीवागढ से बताया जाता है। छत्तीसगढ में प्रचलित गाथा के अनुसार पनागर नामक राज्य के बोडरसाव अपनी पत्नि और भाई कठायत के साथ आरंग आए। बोडरसाव ने आरंग के राजा महर को एक पडवा (भैस का बच्चा) भेंट किया। भेंट से प्रसन्न होकर राजा महर ने बोडर साव को रीवागढ उपहार में प्रदान किया। बोडर साव अहीर जाति का वीर पुरूष था जिनके पुत्र बावन से राजकुमारी चंदा की शादी हुई।
कुछ समय बाद बावन तपस्या करने वन चला गया। जब राजा महर ने गौना कराने के लिए संदेशा भेजा तो बोडर साव ने अपने भाई कठायत के पुत्र लोरिक को गौना कराने भेज दिया। लोरिक चंदा को गौना करा के रीवागढ ले आता है। जहां से लोरिक और चंदा की प्रणय गाथा शुरू होती है। चंदा लोरिक को अपना पति मान लेती है। आरंग के राजा महर को जब बावन के वन चले जाने की जानकारी होती है तो बोडर साय की राज्य पर आक्रमण करके राज पाठ छिन लेते है और चंदा को वापस ले आते हैै, लेकिन लोरिक और चंदा नजरे छुपा कर एक- दूसरे से मिलते रहते है।

इस प्रणय गाथा की भनक लगते ही राजा महर सक्त पहरा लगा देते हैैं। एक दिन चंदा गांव की मल्लिन (डोकरी) दाई के घर पहॅुच जाती है और लोरिक से मिलने की योजना बनाती है। मल्लिन (डोकरी) को पांच मोहर का लालच देकर लोरिक को बुलाने बारहपाली का बाजार भेज देती है। जहाॅ लोरिक नशे में धुत पडा रहता है। गाय दुधने के बहाने मल्लिन (डोकरी) लोरिक को बुलाती है और जब लोरिक कोठा (गौशाला) में पहुचता है तो वहाॅ राजकुमारी चंदा बैठी रहती है। चंदा अपने प्यार की कसम देकर लोरिक को पासा खेलने के लिए बाध्य कर देती है।

दोनो पासा खेलते है उसी बीच लोरिक की पत्नि दौना माझर मही बेचते हुए मल्लिन के घर आती है जहाॅ लोरिक और चंदा को देखकर क्रोधित हो जाती है। चंदा और दौना माझर के बीच झगडा होता है इस घटना के बाद लोरिक और चंदा भागकर कौरव नगर (पश्चिम बंगाल) चले जाते है। जहाॅ पर बारह साल तक राज करने के बाद वापस अपनी पत्नि दौना माझर के पास लौट आते हैं। तीनों प्रेम पूर्वक रहने लगते हैं, लेकिन माझर और चंदा के बीच कलह से परेशान होकर लोरिक तपस्या करने के लिए वन को चला जाता है। कहानी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं और यह कहानी और रोचक पहलुओं से होकर गुजरती है।

इस ऐतिहासिक प्रेम कथा को छत्तीसगढ़ के कला एवं संस्कृति समूह महतारी के कोरा के कलाकारों ने एक वीडियो फिल्म तैयार की है। इसमें कहानी के लेखक डाॅ. सतीश कवल और निर्देशन गौतम चौबे ने किया है। प्रमुख कलाकारों में परिचय लोरिक – गौतम, चंदा- अनु यादव, मलनिन- शत्रुहन निषाद, समारू- भोला निषाद, ददा- डबल धीवर, दौना मांझर- अर्जुन परमार, हारमोनियम गायन- यानेन्द्र साहू, तबला- कृष्णा साहू, घुंघरू- करन साहू, बेन्जोे- रामायण साहू ने अपनी भूमिका निभाई है।