International Mother Language Day: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। यह एक विश्वव्यापी उत्सव है जो विभिन्न देशों में मनाया जाता है।
इस दिन को यूनेस्को द्वारा संरक्षित किया जाता है और इस अवसर को समझाया जाता है कि मातृभाषा एक व्यक्ति की भाषा, संस्कृति और विरासत होती है।

इस दिन के माध्यम से लोगों को अपनी मातृभाषा को सम्मान देने और अपनी भाषा के महत्व को समझने की जरूरत को समझाया जाता है। इस अवसर पर संगठनों, समूहों और व्यक्तियों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें भाषा संरक्षण, उन्नयन और उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है।

इस दिन को मनाकर लोग अपनी मातृभाषा को सम्मान देते हुए अन्य भाषाओं के लिए भी सम्मान देने का संकल्प लेते हैं और इस प्रकार भाषाओं के बीच संवाद को स्थापित करते हैं।
हिंदी भाषा भारत की राजभाषा है और इसका विकास भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग अवधियों में हुआ है। हिंदी भाषा का उदय वैदिक संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से हुआ था।

भारत में मुगल साम्राज्य के काल में उर्दू भाषा का प्रभाव हिंदी भाषा पर था। उस समय उर्दू भाषा को रूपांतरित कर उसमें हिंदी भाषा के शब्द और वाक्यांश जोड़े गए। इस तरह से हिंदी भाषा में उर्दू भाषा के शब्दों और अरबी-फारसी के शब्दों का उपयोग किया जाने लगा।
20 वीं सदी में हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कई लोग रहे हैं। अधिकांश शब्दों के उत्पादन के लिए संस्कृत और पाली भाषा के शब्दों का उपयोग किया जाता है। महात्मा गांधी जी के साथ-साथ, प्रेमचंद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे लोग हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हिंदी भाषा को उर्दू, फारसी और अरबी का प्रभाव बहुत समझने वाला मुद्दा है। उर्दू, फारसी और अरबी भाषाओं के शब्दों और उनके वाक्य विन्यास के कुछ तत्व हिंदी में भी उपलब्ध हैं।
उर्दू भाषा भारत के मुगल शासकों के समय में उत्पन्न हुई थी। इसमें फारसी और अरबी के कुछ शब्द और वाक्य शामिल हो गए थे। उर्दू भाषा में फारसी का विशेष प्रभाव होता है। फारसी भाषा एक अलगावी भाषा है जो ईरान में बोली जाती है। इसमें बहुत सारे शब्द होते हैं जो उर्दू भाषा में भी उपलब्ध होते हैं। उर्दू भाषा में भी फारसी शब्दों का बहुत उपयोग होता है। इसलिए, उर्दू भाषा को उर्दू-फारसी भी कहा जाता है।

अरबी भाषा भी उर्दू भाषा में कुछ शब्दों के लिए उपयोग किया जाता है। अरबी भाषा में बहुत सारे धार्मिक और तकनीकी शब्द होते हैं जो उर्दू भाषा में भी उपलब्ध होते हैं।
हालांकि हिंदी एक अलग भाषा है, लेकिन उर्दू, फारसी और अरबी भाषाओं का इस पर प्रभाव पड़ा है। इन भाषाओं के शब्दों, वाक्यों और वर्तनी में कुछ सामान्यताएं हैं, जो हिंदी भाषा को भी प्रभावित करती हैं।
उर्दू भाषा एक मिश्रण भाषा है जो अरबी, फारसी, हिंदी और अंग्रेज़ी से शब्दों का उपयोग करती है। इस भाषा का प्रभाव हिंदी भाषा पर भी दिखाई देता है। उर्दू भाषा के कुछ शब्द हिंदी भाषा में भी उपयोग किए जाते हैं।
फारसी भाषा का प्रभाव हिंदी भाषा पर अधिक है। हिंदी भाषा में कई फारसी शब्द होते हैं, जैसे कि बाज़ार, हवेली, दोस्त, शिकवा, शुक्रिया आदि। इसके अलावा, फारसी भाषा की वर्तनी भी हिंदी भाषा पर प्रभाव डालती है।
अरबी भाषा का भी हिंदी भाषा पर प्रभाव होता है। कुछ अरबी शब्द हिंदी भाषा में भी उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि इंसाफ, सलाम, जिहाद, आमीन आदि।