History: 60 साल पहले  ऑपरेशन विजय ने गोवा को दिलाई थी पुर्तगालियों से मुक्ति, जानिए क्या है कहानी

History: 60 साल पहले ऑपरेशन विजय ने गोवा को दिलाई थी पुर्तगालियों से मुक्ति, जानिए क्या है कहानी

History: हर साल 19 दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर पर गोवा का मुक्ति दिवस मनाया जाता है। यह दिवस गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों की स्मृति में मनाया जाता है। साथ ही इस दिन भारत यूरोपीय शासन से पूरी तरह मुक्त हुआ था।

गोवा का इतिहास

गोवा के लिखित इतिहास की शुरुआत तीसरी सदी इसा पूर्व से शुरू होता है जब यहां मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बादामी के चालुक्य शासकों ने इस पर वर्ष 580 से 750 तक राज किया। इसके बाद के सालों में इस पर कई अलग अलग शासकों ने अधिकार किया। वर्ष 1312 में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन हुआ, लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम द्वार वहां से खदेड़ दिया गया। अगले सौ सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहां शासन किया और 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान द्वारा फिर से दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया गया।
1510 में पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमैया की मदद से सत्तारूढ़ बीजापुर सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को पराजित किया। उन्होंने वेल्हा गोवा में एक स्थायी राज्य की स्थापना की। यह गोवा में पुर्तगाली शासन का प्रारंभ था जो अगली साढ़े चार सदियों तक चला।भारत ने 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की। भारत ने अनुरोध किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में पुर्तगाली प्रदेशों को भारत को सौंप दिया जाए, लेकिन पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करने से इनकार कर दिया। अंततः 19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीव, भारत का अभिन्न अंग बन गए। इन्हें संयुक्त रूप से भारत का एक केन्द्र प्रशासित क्षेत्र बनाया गया।

ऑपरेशन विजय

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उम्मीद थी कि गोवा में लोकप्रिय आंदोलन और विश्व जनमत का दबाव पुर्तगाली गोवा के अधिकारियों को इसे स्वतंत्रता देने के लिए मजबूर करेगा, लेकिन इसका कोई प्रभाव उन पर नहीं पड़ा। इसे देखते हुए पंडित नेहरू ने सैन्य ऑपरेशन के माध्यम से इसे मुक्त कराने का फैसला किया। दादरा और नगर हवेली को स्थानीय लोगों ने पहले ही स्वतंत्र घोषित कर दिया था। पुर्तगाल की सालाजार तानाशाही के जाने से इनकार करने के बाद भारत ने सैन्य शक्ति द्वारा पुर्तगाली क्षेत्रों पर दावा किया। इस सशस्त्र कार्रवाई का कोड ऑपरेशन विजय था। इसमें 36 घंटे से अधिक समय तक हवाई, समुद्र और भूमि पर हमले शामिल थे। युद्ध में भारत ने निर्णायक जीत हासिल की। इस तरह गोवा और दमन- दीव में पुर्तगाल का 451 वर्षों का शासन को समाप्त हुआ। इस लड़ाई में बाईस भारतीय और तीस पुर्तगाली मारे गए। 30 मई 1987 में केंद्र शासित प्रदेश को विभाजित किया गया और गोवा भारत का पच्चीसवां राज्य बना। जबकि दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश ही हैं।

गोमांतक जहाज युद्ध स्मारक

गोवा की मुक्ति के लिए हुए इस ऐतिहासिक युद्ध में भारतीय नौसेना के जहाज गोमांतक की बड़ी भूमिका रही है। गोवा की मुक्ति के बाद गोमांतक में युद्ध स्मारक का निर्माण सात युवा वीर नाविकों और अन्य कर्मियों की याद में किया गया था, जिन्होंने 19 दिसंबर 1961 को अंजेदिवा द्वीप और क्षेत्रों की मुक्ति के लिए भारतीय नौसेना द्वारा किए गए “ऑपरेशन विजय (1961)” में अपने प्राणों की आहुति दी थी।

गोवा मुक्ति की 60 वीं वर्षगांठ पर स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक पोत मोरमुगांव जलावतरण

भारतीय नौसेना का पी15बी श्रेणी का दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक पोत मोरमुगांव, जिसे 2022 के मध्य में अधिकृत रूप से कार्यान्वित करने की योजना है, वह 19 दिसंबर को अपनी पहली समुद्री परीक्षण यात्रा पर रवाना हुआ। मोरमुगांव को प्रोजेक्ट 15बी विध्वंसक के हिस्से के रूप में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) में तैयार किया गया है। इस पोत में कई विशिष्ट स्वदेशी प्रौद्योगिकियां शामिल की गई हैं और यह आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण है।

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