रायपुर। Doctor advice: ग्रीष्मकाल में बढ़ते तापमान में लू लगना एक सामान्य बात है, लेकिन लू लगने को सामान्य रूप में नहीं लेना चाहिए। लू तब लगती है जब व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य तापमान से बढ़ जाता है। समय पर लू का इलाज भी जरूरी है। नहीं तो लू से गंभीर स्थिति भी हो सकती है।
लू से बचने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल कहती है: ‘‘गर्मी में लोग लू लगने से परेशान रहते है। शुष्क और गर्म हवा चलने को लू कहा जाता है। प्रदेश में लू का जोर अप्रैल के दूसरे तीसरे सप्ताह से शुरू होकर जून के पहले दूसरे सप्ताह तक रहता है। इन दिनों पारा उच्च स्तर पर होता है बहुत गर्म और शुष्क हवाएं बहती हैं।

व्यक्ति गर्म हवा और धूप के संपर्क में देर तक रहता है, या उसका चेहरा सिर देर तक धूप में गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू लगने की संभावना बढ़ जाती है। लू लगे व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्यारह बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें। लू से बचने के लिये खूब पानी पिए और धूप से बचें। खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें। ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, का सेवन करें। बाहर का और खुले खाने से तौबा करे।’’
जिले के सभी जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, में ओआरएस कॉर्नर बनाए गए हैं। साथ ही किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ विभाग 24 घंटे तैयार है।
लू और हीट स्ट्रोक में अंतर
लू और हीट स्ट्रोक में अंतर होता है, हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एक मरीज लगातार अधिक हीट या गर्मी में रहने से बेहोश या बेसुध हो जाता है। लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति के शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसमें हीट स्ट्रोक की तरह व्यक्ति बेहोशी या चक्कर आने जैसी समस्या नहीं होती है। लू लगने में शरीर का तापमान कम से कम 102 डिग्री से ऊपर तक जाता है।
लू लगने के लक्षण क्या होते हैं
अचानक शरीर का तापमान बढ़ जाना। सिर में तेज दर्द का होना। नाड़ी तथा सांस की गति तेज हो जाना। उल्टियां आना। डिहाइड्रेशन के लक्षण नजर आते हैं-चक्कर आना, दस्त लगना, मिचली होना। त्वचा पर लाल दाने हो जाना। बार-बार पेशाब आना। शरीर में जकड़न होना। यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती है शरीर का तापमान लगभग 101 या 102 डिग्री से ऊपर होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी। युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्ग और बच्चे बहुत देर तक गर्मी में रहेंगे, तो लू लगने या हीट स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है।
लू से बचने के उपाय
घर से बाहर जाते समय खुद को हाइड्रेटेड रखें। अपने साथ पर्याप्त पानी का इंतजाम रखें। छाता जरूर लेकर चलें और सर को जरूर ढक कर रखे। शरीर के संपर्क में गर्म हवा अधिक लगेगी उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार हों सकते है। धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें।