Guru Purnima: श्री दूधाधारी मठ में श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व

Guru Purnima: श्री दूधाधारी मठ में श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व

रायपुर। Guru Purnima: छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर स्थित श्री दूधाधारी मठ तथा इससे संबंधित सभी मठ मंदिरों में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया। श्रद्धालुओं ने बड़ी दूर -दूर से पहुंचकर दर्शन पूजन करके आशीर्वाद लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं श्री शिवरीनारायण मठ तथा श्री दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री दूधाधारी मठ रायपुर में ही थे, सुबह 10:00 बजे श्री स्वामी बलभद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर विशेष पूजा अर्चना की गई तत्पश्चात राजेश्री महन्त वैष्णव दास जी महाराज के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलित कर आरती पूजन की गई।

समाधि स्थल की परिक्रमा कर राजेश्री महन्त जी आसन पर विराजित हुए मठ मंदिर के पुजारियों ने गुरुदेव की विधिवत मंत्रोच्चार एवं स्वस्तिवाचन के साथ पूजा अर्चना कर तिलक लगाकर वस्त्र, फल, श्रीफल, पुष्पमाला, द्रव्य भेंट करके चरणामृत लिया। तत्पश्चात सभी श्रद्धालु भक्तों ने बारी -बारी से दर्शन पूजन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया! दोपहर 1:30 बजे भगवान श्री बाला जी के भोग भंडारा का प्रसाद उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्राप्त किया।

अपने संदेश में राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरु पूजन की विशेष महिमा है, प्रत्येक धर्म शास्त्रों में गुरु को ईश्वर के समकक्ष ही बताया गया है। इसे साक्षात परम ब्रम्ह के रूप में भी निरूपित किया गया है, गुरु ज्ञान का स्रोत है, इस भवसागर से पार जाने के लिए गुरु के द्वारा प्रदत आध्यात्मिक ज्ञान नितांत आवश्यक है। हमें अपने गुरुजन के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर अपने आत्मोत्सर्ग का मार्ग तैयार करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने यहां तक लिखा है कि “गुरू बिनु भव निधि तरहिं न कोई” अर्थात बिना गुरु के भवसागर से कोई भी पार नहीं जा सकता!

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, राजनांदगांव, दुर्ग, बलौदा बाजार भाटापारा, जांजगीर चांपा, रायगढ़, बालोद, धमतरी, महासमुंद आदि अनेक जिलों से श्रद्धालु भक्तजन अपने इष्ट मित्रों तथा परिवार सहित उपस्थित होकर राजेश्री महन्त जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किए। समाचार लिखे जाने तक लोगों के आने का सिलसिला निरंतर जारी था।

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