नई दिल्ली। Guidelines for Parents: School Education: लगातार दो शैक्षणिक सत्र बीत गए और स्कूलों के ताले नहीं खुल पाए हैं। कोरोनावायरस संक्रमण के खतरे से बच्चों को बचाने के लिए सरकार बड़ी सतर्कता बरत रही है। बच्चों के मामले में कोई भी जोखिम उठाना नहीं चाहता। ऐसे में स्कूलों को बंद रखकर घर पर ही बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। संक्रमण के दौर में केंद्र और राज्य सरकारें अपनी ओर से पूरी तरह इस बात का प्रयास कर रही है कि बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो, इसके साथ ही इस समय सबसे बड़ी जिम्मेदारी पलकों की है, क्योंकि अब घर पर वही बच्चों के पहले शिक्षक हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक संक्रमण के इस दौर में बच्चों की घर पर पढ़ाई और अभिभावकों की भूमिका को लेकर काफी गंभीर हैं। उन्होंने ट्विटर पर इस संबंध में अपने विचार रखे हैं साथ ही केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से अभिभावकों के लिए एक गाइडलाइन भी जारी की गई है। जिसमें बताया गया है कि इस समय में पढ़ाई में बच्चों की मदद कैसे करें।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने निशंक ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरा ऐसा मानना है कि घर बच्चे का पहला स्कूल होता है और माता-पिता पहले शिक्षक। इस महामारी में बच्चों के विकास में माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।’
ये दिशानिर्देश न केवल माता-पिता के लिए हैं, बल्कि देखभाल करने वालों, परिवार के अन्य सदस्यों, दादा-दादी, समुदाय के सदस्यों और बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने में लगे बड़े भाई-बहनों के लिए भी हैं। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दिशा-निर्देशों में सुझाई गई गतिविधियां राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के अनुसार हैं। आयु-उपयुक्त कला गतिविधियों को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर वर्गीकृत किया गया है जैसे कि फाउंडेशन स्टेज (आयु 3 से 8 वर्ष), प्रारंभिक चरण (उम्र 8 से 11 वर्ष), मध्य चरण (11 से 14 वर्ष की आयु), और माध्यमिक चरण, किशोरावस्था से वयस्क तक (उम्र 14-18 वर्ष)। गतिविधियाँ सरल और विचारोत्तेजक हैं, जिन्हें स्थानीय आवश्यकताओं और संदर्भों के लिए अनुकूलित और अपनाया जा सकता है।
दिशा निर्देश के प्रमुख बिंदु
- शिक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि माता-पिता का शिक्षकों के साथ सहयोग और उनके सीखने में बच्चों की प्रगति पर प्रतिबिंबित करना शिक्षकों और माता-पिता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
- दिशानिर्देश स्कूलों को सलाह देते हैं कि वे छात्रों को होमवर्क और अन्य पाठ्यक्रम से संबंधित गतिविधियों, निर्णयों, योजना और स्कूल के फैसलों में मदद करने के बारे में जानकारी और विचार प्रदान करके माता-पिता को शामिल करें।
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं जिन्हें माता-पिता द्वारा खोजा जा सकता है। कम या बिना साक्षरता वाले माता-पिता के लिए दिशानिर्देशों में एक अलग अध्याय शामिल किया गया है।
- बयान में कहा गया है कि स्कूल, शिक्षक और स्वयंसेवक उन माता-पिता को सहायता प्रदान करने के लिए विचारोत्तेजक कदम उठा सकते हैं जो काफी साक्षर नहीं हैं।