Economical Crisis in Pakistan: (हिमांशु शर्मा)। पाकिस्तान इन दिनों बुरे आर्थिक हालात से गुजर रहा है। महंगाई की मार से लोग परेशान हैं और जीवन की बुनियादी सुविधाएं अब धीरे-धीरे यहां चरमराती जा रही हैं।
पहले आटे की किल्लत यानी खाद्यान्न समस्या, फिर पेट्रोल के लिए लंबी कतारें और अब बड़े शहरों से लेकर गांव तक बिजली का ब्रेकडाउन। बुनियादी सुविधाओं से जूझते लोगों का अब पाकिस्तान की राष्ट्रीयता से ही मोहभंग होता दिख रहा है। पाकिस्तान आखिर कहां जा रहा है, क्या जल्दी इसका विघटन होने वाला है?

पाकिस्तान में आटे को लेकर पिछले 1 महीने से अफरा-तफरी मची हुई है। इसकी कीमतें 4 गुना तक बढ़ गई हैं। यहां लोगों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है। इन सब हालातों के बीच वहां तेल संकट भी गहराया हुआ है, जिससे माल और यात्री परिवहन प्रभावित हो रहा है। पेट्रोल पंप में तेल नहीं मिल रहा जिससे लोग परेशान हैं। इन सब के बीच अब वहां बिजली संकट की खबरें आ रही हैं।
लाहौर, क्वेटा, पेशावर और कराची जैसे बड़े शहरों में बिजली का ब्रेकडाउन हुआ है। इसके अलावा कई छोटे शहर भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। रेल यातायात भी पूरी तरह से चौपट हो गया है। कारखाने, दुकानें सब ठप गए हैं। पाकिस्तान में कुल 11 बिजली कंपनियां हैं जिनमें से एक भी कंपनी के पास वर्तमान में बिजली उपलब्ध नहीं है। पाकिस्तान के बिजली मंत्री खुर्रम का कहना है कि लोड शैडिंग और फ्लकचुएशन की वजह से सिस्टम प्रभावित हुआ है, लेकिन ब्लैकआउट की वास्तविक वजह संयंत्र से पावर कंपनी को बिजली ना मिलना है। पाकिस्तान को चीनी बिजली उत्पादन संयंत्र से बिजली मिलती है। बताया जा रहा है कि करीब $1000000000 का बिजली बिल बकाया होने के चलते चीनी संयंत्र ने बिजली की सप्लाई रोक दी है। कई शहरों में 12 घंटे से भी ज्यादा समय से बिजली गुल है।
इन सब हालात के बीच पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है और इस वक्त ऐतिहासिक रूप से 4.3 अरब डॉलर के साथ न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान में जगह-जगह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। बलूचिस्तान में लोग पूरी तरह से आजादी की मांग पर उतारू हैं। यहां स्थानीय लोगों और पाकिस्तानी सेना के बीच खूनी संघर्ष हो रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा इलाके में तालिबान लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इसके अलावा सिंध, गिलगित बालटिस्तान और पीओके के शेष हिस्से से भी लोग पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहे हैं। इन सब हालातों से जूझ रही पाकिस्तान की सरकार विदेशों में घूम-घूम कर चंदे जुटाने की जुगत में लगी है, लेकिन उन्हें सरकारी खर्च कम करने और जनता पर आरोपित टैक्स बढ़ाकर अपनी स्थिति को सुधारने की नसीहत दी जा रही है। पाकिस्तान सरकार ने जनता पर 200 अरब रुपए अतिरिक्त कर्ज के लिए प्रस्ताव भी लाया है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आशंका जताई है कि पाकिस्तान में यदि इसी तरह विरोध और संघर्ष की स्थिति रही तो यह जल्द कोलैब्स कर सकता है। देखना है कि इन सब हालातों से जूझते हुए कब तक पाकिस्तान अपनी अखंडता पर कायम रह सकता है।