रायपुर। Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई ने बताया कि अपने अधिकारों की रक्षा तथा ज्वलंत समस्याओं को लेकर राजधानी रायपुर में 14 मार्च 2022 को हुंकार रैली, सभा एवं विधानसभा घेराव किया जाएगा। समाज की ओर से एक 23 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया है जिसकी और शासन का ध्यान आकर्षित कराया जाएगा।

सर्व आदिवासी समाज की प्रमुख मांगे-
- जिला सुकमा के ग्राम-सिलेगर में निर्दोष ग्रामीणों के ऊपर अंधाधुंध गोलीबारी से मृतकों के परिजन
को 50 लाख और घायलों को 5 लाख एवं मृतक परिवार के एक सदस्य को योग्यता अनुसार शासकीय
नौकरी दिया जाए। एडसमेटा, सरकेगुड़ा, ताड़मेटला घटनाओं के न्यायिक जांच में सभी एनकाउंटर फर्जी पाया गया है दोषी अधिकारी, कर्मचारी पर तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही एवं मृतक/प्रभावित के
परिवार को उचित मुआवजा। बस्तर मे नक्सल समस्या के स्थायी समाधान के लिए शासन स्तर पर पहल करें। - छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्रफल 5वी अनुसूची क्षेत्र में आता है जहां पेसा कानून के
नियम अतिशीघ्र लागू किया जाय। - छत्तीसगढ़ में विभिन्न शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागू करें।
- पांचवी अनुसूची क्षेत्र में गैर संवैधानिक रूप से बनाये गये नगर पंचायतों, नगर पालिक निगम को
वापस ग्राम सभा बनाया जाये। - छत्तीसगढ़ राज्य में समस्त वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाये जाये व वहां निवासरत किसानों को राजस्व
ग्राम की तरह अधिकार व सुविधा दी जाए। सीतानदी अभ्यारण्य में प्रभावित वनग्राम/ग्राम में वनोपज संग्रहण और विक्रय का अधिकार दिया जावे। - मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर 18 जनजाति को जाति प्रमाण पत्र (सामाजिक पारस्थितिक
प्रमाणीकरण पत्र) जारी करें। अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं करने
वाले संबंधित अधिकारी पर दण्डात्मक कार्यवाही करें। नगारची समाज के 15 से 20 प्रतिशत लोगों के
मिशल रिकार्ड में मंगिया शब्द अंकित है जबकि मंगिया कोई जाति नहीं है को विलोपित कर नगारची
मान्य कर जाति प्रमाण पत्र बनाया जावे। ऐसी ही अन्य अनुसूचित जनजातियों के भ्रामक भाषायी और
लिपिकीय त्रुटि के चलते रोके गये जनजातियों के सामाजिक पारिस्थितिकी प्रमाणीकरण पत्र जारी
करें। फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण पर दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही हो। - शासकीय नौकरी में बैकलॉग व नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए।
- प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए। गौण खनिज का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए।
- पांचवी अनुसूची क्षेत्र कांकेर जिला के 14 ग्राम पंचायत में सरपंच पद को अनारक्षित किया गया है उसे
पुनः आदिवासी के लिए आरक्षित किया जाये। - अनुसूचित जाति एवं जनजाति का आरक्षण एवं सुविधाएं जाति पर आधारित है (आर्टिकल 16) अतः
केंद्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजना में आदिवासीयों के लिए आय सीमा में 2.50 लाख निर्धारित है को समाप्त किया जावे। - आदिवासी सलाहकार परिषद का गठन नियमानुसार किया जावे, इस परिषद का अध्यक्ष आदिवासी सलाहकार परिषद के सदस्यों में से ही होना चाहिए। आदिवासी सलाहकार परिषद का एक कार्यालय होना चाहिए जहां अ.ज.जा. वर्ग के जनप्रतिनिधि अपनी समस्या एवं विचार रख सकें। वर्तमान में जो इस परिषद के सदस्य नहीं है वह आदिवासी सलाहकार परिषद का अध्यक्ष है उसे तत्काल हटाया जाए तथा आदिवासी को ही अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाये।
- छत्तीसगढ़ प्रदेश मे विधिसम्मत बसाये गए विदेशी शरणार्थियों के अलावा अवैध रूप से आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे विदेशी घुसपैठियों जिनकी संख्या कई हजारों में है, उनका निष्पक्ष जांचकर इसे आदिवासी क्षेत्रों से
बाहर भेजा जावे। - बस्तर संभाग में हजारों बेकसूर आदिवासियों को नक्सली या उनका सहयोगी बताकर नक्सल धारा
लागू कर जेलो में बिना कारण के बन्दी बनाकर रखा गया है ऐसे निरापराध आदिवासियों को निष्पक्ष
जांच कर निःशर्त जेलों से रिहाई किया जाए तथा फर्जी तरीके से मारे गए आदिवासियों के परिवारों
को रू. 25 लाख मुआवजा दिया जाये। - अभ्यारण्य और र्टाइ गर रिजर्व, बांध या सरकारी उपक्रम के नाम पर आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है जिसके तहत (अ) सीतानदी अभ्यारण्य में 32 गांव, बारनवापारा अभ्यारण्य में 6 गांव तथा उदंती
अभ्यारण्य व अचानकमार अभ्यारण्य में अनेकों गांव उजाड़े जा रहे है। अतः जब तक इन बस्तियों के
आदिवासी के परिवारों तथा उनके पालतू जानवर, नदी नाला, बोध, जंगल आदि का पुनर्वास एवं
पुर्नव्यवस्थापन नहीं कर दिया जाता तब तक इन बस्तियों को न उजाड़ा जाए इसके लिए समाज
विरोध करता है। (स) सरगुजा संभाग मे प्रस्तावित समस्त अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर
तत्काल रोक लगाया जाए। - कबीरधाम जिले के लगभग 80-90 ग्राम पंचायत वनांचल क्षेत्रों में जो मैकल श्रेणी पर्व त अखला में बसे 250 से 300 गांव सम्मिलित है जिसकी आबादी लगभग 150000 के आसपास है यहा अधिकांश गोंड,
बैगा जनजाति अपनी रीति-नीति से जीवन यापन कर रहे है को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया जाये। रेंगाखार खार ब्लॉक नया बनाया जा रहा है उसको अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया जाए। - अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण 1989 के प्रावधान होते हुए भी जमीन कब्जा मामलों पर एफ आई आर दर्ज नहीं किया जाता है तथा जिला न्यायालय भी कार्यवाही करने से इंकार करते है।
अतः इस पर तत्काल कार्यवाही किया जाए। - आदिवासी धार्मिक, पारम्परिक और सांस्कृतिक स्थलों जैसे भोरमदेव की देखरेख और सेवा अर्जी के लिए बनाये गये समिति या ट्रस्ट में आदिवासी समाज के लोगो को ही रखा जाए। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी पारंपरिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों मे ट्रस्ट न बनाए जाये।
- आदिवासियों की घटती जनसंख्या विशेषकर अति पिछड़ी जनजाति के मद्देनजर उसकी संख्या के
नियंत्रण को बढावा देने वाली सरकारी योजनाओं जैसे ‘‘परिवार नियोजन’’ की अवधारणा से परे समस्त
जनजातियों को वंश वृद्धि में संख्या की बाध्यता से बाहर रहने की पात्रता में छूट दिया जाये। - प्रदेश की पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति के बिना किये गये भूमि अधिग्रहण रद्द करें व बिना ग्रामसभा के सहमति के किसी प्रकार का कार्य न किया जाए।
- वन अधिकार कानून 2006 के तहत सभी दावेदारों को उनकी पूर्ण काबिज जमीन के व्यक्तिगत
वनाधिकारों को मान्यता दी जाये। - सलवा जुडूम में 600 उजड़े गांव को पुनः बसाया जाय और जो अन्य क्षेत्रों/प्रांत में गये हो उन्हें
वापास लाया जाए। - आदिवासी समाज की लड़की से अन्य जाति/समाज में शादी होने पर इनके नाम की जमीन जायदाद वापस किया जाए।
- आदिवासियो पर उत्पीडन जैसे-जमीन का हस्तांतरण, महिला एवं बच्चों पर अत्याचार, हत्या, जातिगत अपमान पर तत्काल कार्यवाही करें।
छत्तीसगढ़ के समस्त सामाजिक जनों से आग्रह है आप अपने संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की
रक्षा तथा ज्वलंत समस्याओं के निराकरण के लिए लोकतांत्रिक तरीके से। राजधानी रायपुर में हुंकार रैली और विधानसभा घेराव में अधिक से अधिक संख्या में आकर सफल बनावें।