ज्येष्ठ अमावस्या: संकटों का निवारण और संतान प्राप्ति का योग, जानिए आज के दिन व्रत- पूजन का क्या है महत्व

ज्येष्ठ अमावस्या: संकटों का निवारण और संतान प्राप्ति का योग, जानिए आज के दिन व्रत- पूजन का क्या है महत्व

आज ज्येष्ठ अमावस्या – Amavasya : आज ज्येष्ठ अमावस्या है। हिंदू धर्म और संस्कृति में  इस चिट्ठी का अपना एक अलग महत्व है ज्येष्ठ माह में आने वाली 30वीं तिथि “ज्येष्ठ अमावस्या” कहलाती है। इस अमावस्या तिथि के दौरान पूजा पाठ और स्नान दान का विशेष आयोजन किया जाता है। हिन्दू पंचांग में अमावस्या तिथि को लेकर कई प्रकार के मत प्रचलित हैं ओर साथ ही इस तिथि में किए जाने वाले विशेष कार्यों को करने की बात भी की जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या को जेठ अमावस्या, दर्श अमावस्या, भावुका अमावस्या इत्यादि नामों से पुकारा जाता है।इस बार ज्येष्ठ अमावस्या खास है क्योंकि इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण दोपहर 01:42 बजे से शुरू होगा, जो शाम 06:41 बजे समाप्त होगा।


ज्येष्ठ अमावस्या पूजा मुहूर्त
इस वर्ष 10 जून, 2021 को गुरूवार के दिन ज्येष्ठ अमावस्या मनाई जाएगी। ज्येष्ठ अमावस के दौरान चंद्रमा की शक्ति निर्बल होती है। अंधकार की स्थिति अधिक होती है। इस वातावरण में नकारात्मकता का प्रभाव भी अधिक होता है। इसलिए इस समय पर तंत्र से संबंधित कार्य भी किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है तांत्रिकों के लिए ये रात खास होती है, जब वे अपनी सिद्धियों से विभिन्न शक्तियों को जाग्रत करते हैं।
पंडित इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या गुरुवार, 10 जून, 2021 को मनाई जाएगी। ज्येष्ठ माह कृष्ण अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 01:57 बजे शुरू होगी और 10 जून, 2021 को 04:22 बजे समाप्त होगी।


ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान का महत्व
किसी भी अमावस्या के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने की महत्ता अत्यंत ही प्राचीन काल से चली आ रही है। पूर्णिमा के समान ही अमावस्या पर भी पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। इस दिन स्नान करने पर शरीर में मौजूद नकारात्मक तत्व दूर होते है। मानसिक बल मिल मिलता है और विचारों में शुद्धता आती है। शरीर निरोगी बनता है वहीं बुरी शक्तियां भी दूर रहती हैं। स्नान करने से विशेष ग्रह नक्षत्रों का भी लाभ प्राप्त होता है।


ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए
व्यक्ति को मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।धन उधार नहीं लेना चाहिए। कोई नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए। पंडित इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या का प्रभाव माह के अनुसार और ग्रह नक्षत्रों के द्वारा विभिन्न राशियों के लोगों पर भी पड़ता है। इसलिए इस दिन गलत कार्यों से दूरी रखनी चाहिए और व्रत-उपासना इष्ट देव की आराधना करनी चाहिए।


ज्येष्ठ अमावस्या पर दान पुण्य का फल
निर्णय सिंधु जैसे ग्रथों में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन दान की महत्ता के विषय में कहा गया है। इस दिन असमर्थ व गरीबों को दान करने। ब्राह्मणों को भोजन करवाने से सहस्त्र गोदान का पुण्य फल प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन दूध से बनी वस्तुओं अथावा श्वेत वस्तुओं का दान करना चंद्र ग्रह के शुभ फल देने वाला होता है।


अमावस्या के अवसर पर सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है पितरों के निम्मित दान। इस समय पर पितृ शांति के कार्य किये जाते हैं। इस तिथि के समय पर प्रात:काल समय पितरों के लिए सभी कार्यों को किया जाना चाहिए। इस दान को करने से नवग्रह दोषों का नाश होता है। ग्रहों की शांति होती है, कष्ट दूर होते हैं।


ज्येष्ठ अमावस्य उपाय
ज्येष्ठ अमावस्या पर गाय, कुते और कौओं को खाना खिलाना चाहिए। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पीपल और बड़ के वृक्ष का पूजन करना चाहिए। पितरों के लिए तर्पण के कार्य करने चाहिए। पीपल पर सूत बांधना चाहिये, कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए। काले तिल का दान करनाचाहिए.दीपक भी जलाना चाहिए।


ज्येष्ठ अमावस्या लाभ
इस दिन उपासना से हर तरह के संकटों का नाश होता है।संतान प्राप्ति और संतान सम्बन्धी समस्याओं का निवारण होता है। अपयश और बदनामी के योग दूर होते हैं। हर प्रकार के कार्यों की बाधा दूर होती है। कर्ज सम्बन्धी परेशानियां दूर होती हैं।

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